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राजलक्ष्मी क्षण-भर तक मेरे चेहरे की ओर देखती रही, फिर बोली, “यह बात तुम्हें आज एकाएक खटकी है पर मेरी तो रात-दिन यही भावना रही है। तुम क्या यह समझते हो ...